इन्सानियत से अपना, अब सरोकार ना रहा...! इन्सानियत से अपना, अब सरोकार ना रहा...!
इन दिनों लाक डाउन के समय मैं अपनी हर सुबह एक नए तरीके से जीता हूं इन दिनों लाक डाउन के समय मैं अपनी हर सुबह एक नए तरीके से जीता हूं
जग गया अब अभिमान है मेरा, हर अत्याचार के विरूद्ध आवाज उठाना है। जग गया अब अभिमान है मेरा, हर अत्याचार के विरूद्ध आवाज उठाना है।
काश! एक और जिंदगी मिले, कही अचानक राहों में जिंदगी मिले,।। काश! एक और जिंदगी मिले, कही अचानक राहों में जिंदगी मिले,।।
लोग सपनों के महल बनाना नहीं छोड़ देते। लोग सपनों के महल बनाना नहीं छोड़ देते।
शांति और बंधुत्व की भावना हर ओर बिखरी होगी। शांति और बंधुत्व की भावना हर ओर बिखरी होगी।